ब्रेन स्ट्रोक क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज के उपाय

ब्रेन स्ट्रोक क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज के उपाय

ब्रेन स्ट्रोक को अक्सर सिर्फ स्ट्रोक के रूप में जाना जाता है, यह एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है, जिसे तुरंत पहचान कर इलाज करना ज़रूरी है। यह तब होता है जब दिमाग के किसी हिस्से में खून सप्लाई नहीं हो पाता या उसकी सप्लाई काफी हद तक कम हो जाती है, जिसकी वजह से दिमाग़ के ऊतकों को ज़रूरी ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इस तरह कुछ ही मिनटों में दिमाग की कोशिकाएँ मर जाती हैं। भारी नुकसान को रोकने और ज़िन्दगी को बचाने के लिए ब्रेन स्ट्रोक के कारणों, लक्षणों और इलाज के तरीकों को समझना बहुत ज़रूरी है।

Walk Again Rehab में, हम स्ट्रोक के बाद लोगों में फिर से जीने की इच्छा जगाने में माहिर हैं और मरीज़ों को बेहतर इलाज देकर उनकी चाल, भाषा और आज़ादी को पुनः प्राप्त करने में मदद करते हैं।

What Is a Brain Stroke- Know Its Causes, Symptoms And Treatment Methodsब्रेन स्ट्रोक क्या है?

ब्रेन स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है, जो दिमाग में खून के बहाव में रुकावट पैदा होने की वजह से होती है। ऐसा होने के दो करण हो सकते हैं:

  1. इस्केमिक स्ट्रोक: यह दिमाग को रक्त सप्लाई करने वाली नस में रुकावट या थक्का जमने के कारण होता है। जितने भी स्ट्रोक होते हैं, यह उन सभी का लगभग 87% है।
  2. हेमोरेजिक स्ट्रोक: यह तब होता है जब दिमाग की नस फट जाती है, जिससे दिमाग के अंदर या उसके आसपास खून बहने लगता है।

हालाँकि ये दोनों प्रकार, गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं, लेकिन समय पर इलाज से स्ट्रोक्स के असर को कम किया जा सकता है और इस तरह मरीज़ के सेहतमंद होने की संभावना बढ़ सकती है।

ब्रेन स्ट्रोक क्यों होता है?

ब्रेन स्ट्रोक नीचे दिए गए कई सारे कारकों की वजह से होता है। सबसे मुख्य कारणों में शामिल हैं:
1. अवरुद्ध धमनियां

  • प्लाक का निर्माण या खून का थक्का दिमाग में खून की गति में बाधा डाल सकता है, जिसके कारण इस्केमिक स्ट्रोक का खतरा होता है।

2. उच्च रक्तचाप

  • बहुत ज़्यादा उच्च रक्तचाप खून की नसों को कमजोर कर देता है, जिससे इस्केमिक और हेमोरेजिक स्ट्रोक दोनों का खतरा बढ़ जाता है।

3. एन्यूरिज्म या रक्त-वाहिका (नस) का फटना

  • कमज़ोर या उभरी हुई खून की नसें फट सकती हैं, जिससे हेमोरेजिक स्ट्रोक हो सकता है।

4. हृदय रोग

  • आर्टीयल फिब्रिलेशन जैसी हालत हो, तो उसकी वजह से खून के थक्के दिमाग तक पहुंच सकते हैं।

5. मधुमेह

  • खून में शुगर की बढ़ी हुई मात्रा रक्त वाहिकाओं या नसों को नुकसान पहुंचाती है, जिसकी वजह से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

6. जीवनशैली

  • धूम्रपान, हद से ज़्यादा शराब पीना और गतिहीन जीवनशैली स्ट्रोक के जोखिम को बहुत ज़्यादा बढ़ा सकती है।

यह समझना कि ब्रेन स्ट्रोक क्यों होता है, लोगों के लिए बचाव के उपाय करने में मददगार हो सकता है। साथ ही स्ट्रोक के लिए ज़िम्मेदार कारक को कम करने में भी मदद कर सकता है।

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों को तुरंत पहचानना तत्काल इलाज के लिए महत्त्वपूर्ण है। चेतावनी के संकेतों की पहचान करने के लिए आमतौर पर FAST शब्द का इस्तेमाल किया जाता है:

  • F – फेस ड्रूपिंग: चेहरे का अचानक सुन्न हो जाना या कमज़ोरी, और अक्सर ऐसे मामलों में चेहरे के एक तरफ हो जाता है।
  • A – आर्म वीकनेस (बांह की कमज़ोरी): कमज़ोरी की वजह से एक या दोनों हाथों को उठाने में कठिनाई मसहूस होना।
  • S – स्पीच डिफिकल्टी (बोलने में कठिनाई): अस्पष्ट बोलना या साफ़ बोलने में असमर्थ होना।
  • T –टाइम टू कॉल इमरजेंसी सर्विसेज (आपातकालीन सेवाओं को कॉल करने का समय): तुरंत हरकत में आकर काम करना ज़रूरी है; बिना देरी किए आपातकालीन सेवाओं को डायल करें। 

दूसरे लक्षणों में शामिल हैं:

  • अचानक भ्रम होना या बोली समझने में परेशानी होना
  • एक या दोनों आँखों की दृष्टि का अचानक से चले जाना
  • बिना किसी वजह के सिर में तेज़ दर्द होना  
  • सीधे खड़े न हो पाना या चलने-फिरने में दिक्कत होना, जिसकी वजह से चक्कर आना या गिरना

इन लक्षणों को जितनी जल्दी पहचान लिया जाए, इलाज के नतीजे उतने ही बेहतर हो सकते हैं और मरीज़ को लम्बे समय तक के लिए विकलांग होने से बचाया जा सकता है।

ब्रेन स्ट्रोक के कारण

ब्रेन स्ट्रोक के कारण उसके प्रकार के आधार पर अलग हो सकते हैं:

1. इस्केमिक स्ट्रोक के कारण

  • एथेरोस्क्लेरोसिस: कोलेस्ट्रॉल जमा होने की वजह से धमनियों का सख्त हो जाना।
  • खून के थक्के: दिल या खून की नसों में बनते हैं और दिमाग तक जाते हैं।
  • कैरोटिड धमनी रोग: दिमाग को खून सप्लाई करने वाली गर्दन की धमनियों का सिकुड़ जाना।

2. हेमोरेजिक स्ट्रोक के कारण

  • उच्च रक्तचाप: लगातार बरकरार रहने वाला उच्च रक्तचाप रक्त वाहिकाओं की दीवारों को नुकसान पहुंचाता है।
  • चोट: सिर पर लगी चोटें, जो दिमाग में या उसके आसपास खून बहने की वजह बनती हैं।
  • खून पतला करने वाली दवाएँ: हद से ज़्यादा एंटीकोगुलेंट्स के इस्तेमाल से खून का स्राव हो सकता है।

इन कारणों को पहचानना और उनका उपचार करना ज़रूरी है, ताकि स्ट्रोक की संभावना को कम किया जा सके।  

ब्रेन स्ट्रोक के लिए इलाज के विकल्प

स्ट्रोक से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए समय रहते उचित इलाज बेहद ज़रूरी है । स्ट्रोक के प्रकार के आधार पर इलाज अलग-अलग तरीके से होता है।

इस्केमिक स्ट्रोक का इलाज:

  1. थक्का-तोड़ने वाली दवाएँ: टिशू प्लास्मिनोजेन एक्टिवेटर (टीपीए) जैसी दवाएँ खून के थक्कों को पिघलाकर उन्हें हल्का करती हैं और खून की गति को दोबारा से पहले जैसा कर देती हैं। स्ट्रोक शुरू होने के 3-4.5 घंटों के अंदर जो दवाएँ दी जाती हैं, वो सबसे ज़्यादा असरदार होती हैं।
  2. मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी: कैथेटर का इस्तेमाल करके खून के बड़े थक्कों को हटाने की एक प्रक्रिया है, जिससे खून की गति को दोबारा पहले जैसी हो जाती है।
  3. एंटीप्लेटलेट और एंटीकोगुलैंट दवाएँ: ये दवाएँ नए थक्कों को बनने से रोकती हैं और बार-बार आने वाले स्ट्रोक के खतरे को कम करती हैं।

हेमोरेजिक स्ट्रोक का इलाज:

  1. इमरजेंसी सर्जरी: खून के बहाव को रोकने और दिमाग पर दबाव कम करने के लिए क्रैनियोटॉमी जैसी प्रक्रियाओं को इस्तेमाल में लाया जाता है।
  2. दवाइयाँ: दवाओं का इस्तेमाल ब्लड प्रेशर को कम करने और वासोस्पाज्म (रक्त वाहिकाओं के सिकुड़न) रोकने के लिए किया जाता है।
  3. इंडोवैस्कुलर प्रक्रियाएँ: यह सबसे कम चीर-फाड़ वाली तकनीकें हैं, जिनकी मदद से क्षतिग्रस्त रक्त वाहिकाओं को ठीक किया जाता है या धमनी के फैलाव को ठीक किया जाता है।  

ब्रेन स्ट्रोक के बाद उपचार:

स्ट्रोक के बाद ठीक होने पर मरीज़ आज़ादी महसूस कर सकते हैं और काम करने की खोयी हुई क्षमता फिर से हासिल कर सकते हैं। इसमें शामिल हैं:

  • फिजिकल थेरेपी: चलने-फिरने, संतुलन और ताकत को पुनः प्राप्त करने पर आधारित होती है । 
  • स्पीच थेरेपी: आवाज़ और भाषा की खोयी हुई ताकत को फिर से वापस पाने में मदद करती हैं।  
  • व्यावसायिक थेरेपी: मरीज़ों को रोज़मर्रा के कामों को फिर से सीखने और आत्म निर्भर बनाने में मदद करती है।
  • मनोवैज्ञानिक सलाह: मरीज़ के लिए भावनात्मक सुधार और प्रेरणा की राह दिखाती है।

Walk Again Rehab Care में साइबरडाइन रिहैब थेरेपीज आधुनिक तकनीकों की मदद से स्ट्रोक के बाद दोबारा जीने की इच्छा को वापस पाने में मदद करती है:

  • साइबरडाइन हाइब्रिड असिस्टिव लिम्ब (एचएएल): यह एक रोबोटिक एक्सोस्केलेटन है जो रफ़्तार और चलने-फिरने में मरीज़ों की मदद करता है, जिससे मरीज़ इस लायक हो जाते हैं कि अपनी मांसपेशियों के संकेतों को बढ़ाकर फिर से चलने लगें।
  • टाइमो: यह एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जो चलने-फिरने और संतुलन को बेहतर बनाने के लिए रियल टाइम फीडबैक देता है, जो स्ट्रोक से मानसिक रूप से उभरने के लिए बहुत ज़रूरी है।
  • ब्रेन-कम्प्यूटर इंटरफेस: यह नॉन-इनवेसिव सेंसर्स का उपयोग करता है, ताकि दिमाग के सिग्नल को गति में बदला जा सके, जिससे अंगों पर अपनी इच्छा से नियंत्रण की शक्ति पुनः प्राप्त की जा सके।

ये सभी टेक्नॉलजी इलाज के पुराने तरीकों के साथ मिलकर स्ट्रोक से उबरने के लिए एक संपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करती हैं। इस तरह मरीज़ों को बेहतर ढंग से चलने-फिरने और आज़ादी हासिल करने में मदद मिलती है।

ब्रेन स्ट्रोक की रोकथाम

स्ट्रोक की घटनाओं को कम करने में बचाव और रोकथाम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे जुड़ी कुछ ख़ास रणनीतियों में शामिल हैं:
1. पुराने हालात को मैनेज करना

  • दवा और जीवनशैली में बदलाव करके हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करें

2. स्वस्थ जीवनशैली अपनाना

  • संतुलित आहार लें, नियमित रूप से व्यायाम करें, धूम्रपान और हद से ज़्यादा शराब पीने से बचें।

3. नियमित रूप से जाँच कराना  

  • समय-समय पर सेहत की जांच करवाकर खतरों से जुड़े कारकों का जल्द पता लगाया जा सकता है

4. खुद को जागरूक रखें

  • ब्रेन स्ट्रोक क्या है? यह जानना और इसके लक्षणों को पहचानना, लोगों को इसके इलाज में जल्दी करने के लिए सक्षम बनाता है।

स्ट्रोक रिकवरी के लिए Walk Again Rehab क्यों चुनें?

ब्रेन स्ट्रोक से उबरना एक ऐसा सफर है, जिसके लिए किसी विशेषज्ञ की देखभाल और सहायक माहौल का होना ज़रूरी है। Walk Again Rehab में, हम ये सब प्रदान करते हैं:

  • कस्टमाइज्ड रिहैबिलिटेशन प्लान्स: हर एक मरीज़ की ख़ास ज़रूरतों और लक्ष्यों के हिसाब से।
  • बहुविषयक टीम: जिसमें फिजियोथेरेपिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट और मनोवैज्ञानिक शामिल हैं।
  • अत्याधुनिक सुविधाएं: असरदार रिकवरी के लिए आधुनिक उपकरण और थेरेपी।
  • समग्र दृष्टिकोण: रिकवरी के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए।

व्यक्तिगत देखभाल पर हमारा ध्यान देना यह तय करता है कि हर एक मरीज़ को उसके ठीक होने तक इलाज की सबसे बेहतर और हर संभव मदद मिलती रहे।

निष्कर्ष

ब्रेन स्ट्रोक ज़िन्दगी को बदल डालने वाली घटना है, लेकिन समय पर उपचार करके और असरदार बहाली से नतीजों में अहम बदलाव लाया जा सकता है। ब्रेन स्ट्रोक के कारणों को समझकर, ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानकर और इस सिलसिले में तुरंत मेडिकल सहायता लेकर किसी की भी ज़िन्दगी को बचाया जा सकता है और विकलांगता को कम किया जा सकता है।

Walk Again Rehab स्ट्रोक से प्रभावित और उससे बच जाने वाले लोगों के लिए उम्मीद की एक किरण बनकर खड़ा है, जो मरीज़ों को भरपूर देखभाल प्रदान करता है और उनको अपनी आज़ादी हासिल करने के लिए मज़बूत बनाता है। अगर आप या आपके किसी प्रियजन को स्ट्रोक का अनुभव हुआ है, तो हमारी समर्पित टीम पर भरोसा करें कि वह आपको अपनी गहरी हमदर्दी और विशेषज्ञता की बदौलत ठीक होने तक आपके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर खड़ी रहेगी।   

Walk Again Rehab के साथ रिकवरी की ओर पहला कदम बढ़ाएं - स्ट्रोक के बाद ज़िन्दगी को फिर से हासिल करने में आपका साथी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र: ब्रेन स्ट्रोक क्या है?
उ: ब्रेन स्ट्रोक तब होता है, जब दिमाग के लिए खून की सप्लाई में रुकावट आ जाती है, जिसकी वजह से दिमाग की कोशिकाएं मरने लगती हैं।

प्र: स्ट्रोक के दो मुख्य प्रकार क्या हैं?
उ: इस्केमिक स्ट्रोक और हेमोरेजिक स्ट्रोक इसके दो मुख्य प्रकार हैं।

प्र: स्ट्रोक का खतरा किसको ज़्यादा है?
: उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग से पीड़ित लोग, और हद से ज़्यादा धूम्रपान या शराब पीने वाले लोगों को इसका खतरा अधिक होता है।

प्र: स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं?
: सामान्य लक्षणों में अचानक सुन्नपन या कमजोरी, खासतौर से शरीर के एक तरफ, इसी तरह भ्रम, बोलने या समझने में परेशानी, दृष्टि से जुड़ी समस्याएं और ज़बरदस्त सिरदर्द शामिल हैं।

प्र: स्ट्रोक को कैसे पहचाना जाता है?
: पहचान करने में अक्सर सीटी स्कैन या एमआरआई जैसे इमेजिंग टेस्ट शामिल होते हैं

प्र: स्ट्रोक का इलाज कैसे किया जाता है?
: इसका इलाज स्ट्रोक के प्रकार पर निर्भर करता है और इसमें खून के थक्कों को घोल कर हल्का करने के लिए दवाएं, सर्जरी या बहाली की थेरेपी शामिल हो सकती है।

प्र: स्ट्रोक के बाद रिकवरी की प्रक्रिया कैसी होती है?
: ठीक होने में समय लग सकता है और स्ट्रोक अगर गंभीर हो तो रिकवरी में देर हो सकती है। बहाली से जुड़ा हुआ इलाज शारीरिक कार्य और ज्ञान संबंधी कार्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।

प्र: मैं स्ट्रोक को कैसे रोक सकता हूँ?
: स्ट्रोक के खतरे को कम करने के लिए, सेहतमंद जीवनशैली अपनाएं, लम्बे समय होने वाली बीमारियों को मैनेज करें और नियमित रुप से जांच करवाते रहें।  

प्र: क्या स्ट्रोक से पूरी तरह उबरना संभव है?
: जबकि कुछ लोग पूरी तरह से ठीक हो सकते है, लेकिन कुछ और लोगों को देर तक इसके असर का अनुभव हो सकता है। ठीक होने की सीमा इस बात पर निर्भर करती है कि स्ट्रोक कितना गंभीर है और इलाज के दौरान व्यक्ति की प्रतिक्रिया कैसी है?

प्र: स्ट्रोक के लिए जल्दी इलाज करने का क्या महत्व है?
: इलाज में जल्दी करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि किसी शख्स के ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है और लम्बे समय तक विकलांगता को कम किया जा सकता है।

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