ब्रेन स्ट्रोक को अक्सर सिर्फ स्ट्रोक के रूप में जाना जाता है, यह एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है, जिसे तुरंत पहचान कर इलाज करना ज़रूरी है। यह तब होता है जब दिमाग के किसी हिस्से में खून सप्लाई नहीं हो पाता या उसकी सप्लाई काफी हद तक कम हो जाती है, जिसकी वजह से दिमाग़ के ऊतकों को ज़रूरी ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इस तरह कुछ ही मिनटों में दिमाग की कोशिकाएँ मर जाती हैं। भारी नुकसान को रोकने और ज़िन्दगी को बचाने के लिए ब्रेन स्ट्रोक के कारणों, लक्षणों और इलाज के तरीकों को समझना बहुत ज़रूरी है।
Walk Again Rehab में, हम स्ट्रोक के बाद लोगों में फिर से जीने की इच्छा जगाने में माहिर हैं और मरीज़ों को बेहतर इलाज देकर उनकी चाल, भाषा और आज़ादी को पुनः प्राप्त करने में मदद करते हैं।
ब्रेन स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है, जो दिमाग में खून के बहाव में रुकावट पैदा होने की वजह से होती है। ऐसा होने के दो करण हो सकते हैं:
हालाँकि ये दोनों प्रकार, गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं, लेकिन समय पर इलाज से स्ट्रोक्स के असर को कम किया जा सकता है और इस तरह मरीज़ के सेहतमंद होने की संभावना बढ़ सकती है।
ब्रेन स्ट्रोक नीचे दिए गए कई सारे कारकों की वजह से होता है। सबसे मुख्य कारणों में शामिल हैं:
1. अवरुद्ध धमनियां
2. उच्च रक्तचाप
3. एन्यूरिज्म या रक्त-वाहिका (नस) का फटना
4. हृदय रोग
5. मधुमेह
6. जीवनशैली
यह समझना कि ब्रेन स्ट्रोक क्यों होता है, लोगों के लिए बचाव के उपाय करने में मददगार हो सकता है। साथ ही स्ट्रोक के लिए ज़िम्मेदार कारक को कम करने में भी मदद कर सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों को तुरंत पहचानना तत्काल इलाज के लिए महत्त्वपूर्ण है। चेतावनी के संकेतों की पहचान करने के लिए आमतौर पर FAST शब्द का इस्तेमाल किया जाता है:
दूसरे लक्षणों में शामिल हैं:
इन लक्षणों को जितनी जल्दी पहचान लिया जाए, इलाज के नतीजे उतने ही बेहतर हो सकते हैं और मरीज़ को लम्बे समय तक के लिए विकलांग होने से बचाया जा सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक के कारण उसके प्रकार के आधार पर अलग हो सकते हैं:
इन कारणों को पहचानना और उनका उपचार करना ज़रूरी है, ताकि स्ट्रोक की संभावना को कम किया जा सके।
स्ट्रोक से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए समय रहते उचित इलाज बेहद ज़रूरी है । स्ट्रोक के प्रकार के आधार पर इलाज अलग-अलग तरीके से होता है।
स्ट्रोक के बाद ठीक होने पर मरीज़ आज़ादी महसूस कर सकते हैं और काम करने की खोयी हुई क्षमता फिर से हासिल कर सकते हैं। इसमें शामिल हैं:
Walk Again Rehab Care में साइबरडाइन रिहैब थेरेपीज आधुनिक तकनीकों की मदद से स्ट्रोक के बाद दोबारा जीने की इच्छा को वापस पाने में मदद करती है:
ये सभी टेक्नॉलजी इलाज के पुराने तरीकों के साथ मिलकर स्ट्रोक से उबरने के लिए एक संपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करती हैं। इस तरह मरीज़ों को बेहतर ढंग से चलने-फिरने और आज़ादी हासिल करने में मदद मिलती है।
स्ट्रोक की घटनाओं को कम करने में बचाव और रोकथाम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे जुड़ी कुछ ख़ास रणनीतियों में शामिल हैं:
1. पुराने हालात को मैनेज करना
2. स्वस्थ जीवनशैली अपनाना
3. नियमित रूप से जाँच कराना
4. खुद को जागरूक रखें
ब्रेन स्ट्रोक से उबरना एक ऐसा सफर है, जिसके लिए किसी विशेषज्ञ की देखभाल और सहायक माहौल का होना ज़रूरी है। Walk Again Rehab में, हम ये सब प्रदान करते हैं:
व्यक्तिगत देखभाल पर हमारा ध्यान देना यह तय करता है कि हर एक मरीज़ को उसके ठीक होने तक इलाज की सबसे बेहतर और हर संभव मदद मिलती रहे।
ब्रेन स्ट्रोक ज़िन्दगी को बदल डालने वाली घटना है, लेकिन समय पर उपचार करके और असरदार बहाली से नतीजों में अहम बदलाव लाया जा सकता है। ब्रेन स्ट्रोक के कारणों को समझकर, ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानकर और इस सिलसिले में तुरंत मेडिकल सहायता लेकर किसी की भी ज़िन्दगी को बचाया जा सकता है और विकलांगता को कम किया जा सकता है।
Walk Again Rehab स्ट्रोक से प्रभावित और उससे बच जाने वाले लोगों के लिए उम्मीद की एक किरण बनकर खड़ा है, जो मरीज़ों को भरपूर देखभाल प्रदान करता है और उनको अपनी आज़ादी हासिल करने के लिए मज़बूत बनाता है। अगर आप या आपके किसी प्रियजन को स्ट्रोक का अनुभव हुआ है, तो हमारी समर्पित टीम पर भरोसा करें कि वह आपको अपनी गहरी हमदर्दी और विशेषज्ञता की बदौलत ठीक होने तक आपके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर खड़ी रहेगी।
Walk Again Rehab के साथ रिकवरी की ओर पहला कदम बढ़ाएं - स्ट्रोक के बाद ज़िन्दगी को फिर से हासिल करने में आपका साथी।
प्र: ब्रेन स्ट्रोक क्या है?
उ: ब्रेन स्ट्रोक तब होता है, जब दिमाग के लिए खून की सप्लाई में रुकावट आ जाती है, जिसकी वजह से दिमाग की कोशिकाएं मरने लगती हैं।
प्र: स्ट्रोक के दो मुख्य प्रकार क्या हैं?
उ: इस्केमिक स्ट्रोक और हेमोरेजिक स्ट्रोक इसके दो मुख्य प्रकार हैं।
प्र: स्ट्रोक का खतरा किसको ज़्यादा है?
उ: उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग से पीड़ित लोग, और हद से ज़्यादा धूम्रपान या शराब पीने वाले लोगों को इसका खतरा अधिक होता है।
प्र: स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं?
उ: सामान्य लक्षणों में अचानक सुन्नपन या कमजोरी, खासतौर से शरीर के एक तरफ, इसी तरह भ्रम, बोलने या समझने में परेशानी, दृष्टि से जुड़ी समस्याएं और ज़बरदस्त सिरदर्द शामिल हैं।
प्र: स्ट्रोक को कैसे पहचाना जाता है?
उ: पहचान करने में अक्सर सीटी स्कैन या एमआरआई जैसे इमेजिंग टेस्ट शामिल होते हैं
प्र: स्ट्रोक का इलाज कैसे किया जाता है?
उ: इसका इलाज स्ट्रोक के प्रकार पर निर्भर करता है और इसमें खून के थक्कों को घोल कर हल्का करने के लिए दवाएं, सर्जरी या बहाली की थेरेपी शामिल हो सकती है।
प्र: स्ट्रोक के बाद रिकवरी की प्रक्रिया कैसी होती है?
उ: ठीक होने में समय लग सकता है और स्ट्रोक अगर गंभीर हो तो रिकवरी में देर हो सकती है। बहाली से जुड़ा हुआ इलाज शारीरिक कार्य और ज्ञान संबंधी कार्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
प्र: मैं स्ट्रोक को कैसे रोक सकता हूँ?
उ: स्ट्रोक के खतरे को कम करने के लिए, सेहतमंद जीवनशैली अपनाएं, लम्बे समय होने वाली बीमारियों को मैनेज करें और नियमित रुप से जांच करवाते रहें।
प्र: क्या स्ट्रोक से पूरी तरह उबरना संभव है?
उ: जबकि कुछ लोग पूरी तरह से ठीक हो सकते है, लेकिन कुछ और लोगों को देर तक इसके असर का अनुभव हो सकता है। ठीक होने की सीमा इस बात पर निर्भर करती है कि स्ट्रोक कितना गंभीर है और इलाज के दौरान व्यक्ति की प्रतिक्रिया कैसी है?
प्र: स्ट्रोक के लिए जल्दी इलाज करने का क्या महत्व है?
उ: इलाज में जल्दी करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि किसी शख्स के ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है और लम्बे समय तक विकलांगता को कम किया जा सकता है।